ठग बंधन की सियासी यात्रा: रामविलास जांगिड़ 

सच्चे लोकतंत्र की खातिर मैंने स्वयं को पार्टी का अध्यक्ष घोषित कर दिया और देश की राजनीति में हूंकार भर दी कि लोकतंत्र इस समय भरपूर खतरे में है। इस लोकतंत्र के खतरे में पड़ने संबंधी आवाजें, चिंघाड़े, और बवंडर कई पार्टियों से आने लगे जिनके अध्यक्ष नामित किए हुए थे । सब पार्टीबाजों ने निर्णय किया कि मौका है और इस समय गठबंधन कर लिया जाए ताकि लोग समझ सकें कि असली गठबंधन तो सिर्फ हमारा है। लिहाजा हम सब पार्टियों ने जिनके नाम एबीसीडी या कखगघ या फिर दल दल पार्टी, आलू कचालू पार्टी, बंदर भालू पार्टी जो भी है ; सबने मिलकर स्वयं की सेवा का भाव रखते हुए देश सेवा में ठगबंधन कर लिया। दलदल, आलू कचालू, बंदर भालू सहित स्वयं मेरी मौका चालू पार्टी ने शीघ्र ही एक गठबंधन रथ की रचना की। इस गठबंधन रथ में 282 पार्टियों के अध्यक्षों के ताजे घोड़े जोत दिए गए। इस ठगबंधन रथ में पार्टी के अन्य पदाधिकारी, कार्यकर्ता, चमचे, उपचमचे, उपउपचमचे आदि सवार हो गए । अभी आधा किलोमीटर दूरी तय है की कि घोड़े हाँफने लगे। तब मैंने निर्णय लिया कि शीघ्र ही चमचों, उपचमचों आदि को इस गठबंधन से उतार दिया जाए तो ठगबंधन की गाड़ी ठीक से चल पड़ेगी। हमने ऐसा ही किया। लेकिन कुछ दूर चले कि गठबंधन रथ के घोड़े लगे फिर हाँफने।उनके मुंह से झाग निकलने लगे। फिर यह निर्णय लिया कि अब शीघ्र ही इस रथ से पार्टी के कार्यकर्ता आदि को भी उतार दिया जाए। कार्यकर्ता उतारे। पर कुछ दूरी बाद पार्टी नंबर 15 का घोड़ा उजबक तरीके से अड़ गया। वह नीचे गिर गया। मुंह से ढेर सारे झाग निकलने लगे। सबने निर्णय लिया कि पार्टी नंबर 15 के अध्यक्षीय घोड़े को निकाल बाहर करना चाहिए ताकि गठबंधन अपनी चरम अवस्था तक ठगबंधन बना रहे। अब गठबंधन रथ से पार्टी नंबर 15 को हटाया ही और साथ में पार्टी के समस्त सचिव आदि भी हटकर नीचे आ गए। अब गठबंधन की गाड़ी विदाउट 15 नंबर चल पड़ी, जिस पर कोई नहीं बैठे थे। सत्ता सुख की चाहत में इस खाली गाड़ी के पीछे-पीछे कई-कई पार्टियों के सचिव आदि का रैला चल रहा था। शीघ्र ही घोड़े फिर हाँफने लगे। उनके पैर अकड़ने लगे।दो-चार नए घोड़े जुते। पाँच-छह की छुट्टी की कर दी गई। पर निर्णय यह हुआ कि अब इस गाड़ी को पीछे से ठेला जाए तो इन घोड़ों में कुछ खींचने की ताकत आएगी। रथ के पहिए उन्हीं पार्टियों की बनी सड़कों उर्फ खंदकों, खाइयों आदि में धड़ाम- फड़ाम करते से चल रहे थे। पीछे पार्टीबाजों की अनेकता में इस एकता में दिखाई पड़ी कि वे सब मिल इसे ठेल रहे थे। मुश्किल से गठबंधन रथ सरक रहा था। राहगीर हंस रहे थे। कई राहगीरों ने सुझाव दिया कि इन अध्यक्षों उर्फ घोड़ों को रथ में डाल देते तो ज्यादा आसान होता। हमें यह सुझाव अच्छा ही लगा। हमने शीघ्र ही उन घोड़ों को रथ पर ला दिया। फिर लगे धक्का मारने। पसीने-पसीने, सुर्ख-गाल, पतीली-चाल। रूखे बेजान बाल से लगे धकियाने। आपस में लड़ने- झगड़ने का पाठ करते; आलू कचालू बंदर भालू। सब पार्टी बाज! लोकतंत्र की रक्षा करने अपने-अपने जुमलों घोषणा पत्रों का बोरा पीठ पर लादे। ठगबंधन की सियासी यात्रा पर चलते रंग-बिरंगे पार्टीबाजों का गिरोह।

— रामविलास जांगिड़, 18, उत्तम नगर, घूघरा, अजमेर (305023) राजस्थान

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